एक समय की बात है, जब एक आदमी अपने आप को अकेले महसूस करता था। उसे लगता था कि सभी लोग उससे अलग हैं और उसकी कोई दोस्त नहीं है। उसका नाम राजीव था और वह एक विदेशी बैंक में काम करता था। उसकी शादी हो चुकी थी लेकिन उसकी पत्नी उसे अकेलापन महसूस कराती थी और उसे छोड़कर चली गई थी।
राजीव के जीवन में कुछ खास नहीं था। वह अपने घर से काम के लिए जाता था और शाम को वापस आता था। वह लोगों से बात नहीं करता था और घर में भी अकेलापन महसूस करता था। उसकी ज़िन्दगी कुछ इस तरह की थी जैसे वह एक स्वर्गावसी हो और उसकी दुनिया केवल उसी के लिए होती हो।
कुछ दिन बाद, राजीव को वहां कुछ बदलाव नज़र आने लगे। उसके जीवन में अकेलापन और उदासी की जगह से, उसे आनंद की जगह महसूस होने लगा। राजीव ने नए दोस्त बनाए और उनसे मिलकर खुशी का अनुभव करना शुरू किया। उसकी दोस्ती ने उसे नए समय की ओर ले जाया और उसकी दोस्ती ने उसे नए समय की ओर ले जाया और उसे सामाजिक रूप से अधिक सक्रिय बनाया। राजीव ने समाज में अपनी जगह ढूंढना शुरू किया और उसने अपने जीवन में नये कार्यक्रम शुरू किए। उसने अपनी पत्नी से भी संपर्क स्थापित किया और उसके साथ अपनी ज़िन्दगी को साझा करने का प्रयास किया।
रजीव ने अपने अकेलापन का सामना करके एक बड़ा सबक सीखा है। उसने समझ लिया है कि जीवन के खुशी और उत्साह का मूल उसकी ज़िन्दगी में मौजूद मित्रों और परिवार से संबंधित होता है। उसकी दोस्ती ने उसे एक नई दिशा दी और उसने अपनी ज़िन्दगी को एक नये अंदाज़ से जीना शुरू किया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अकेलापन एक ऐसी स्थिति होती है जो हमें निराश कर देती है। लेकिन हम ऐसे समय में अपने आसपास के लोगों के साथ जुड़े रहने का प्रयास करना चाहिए। एक दूसरे के साथ दोस्ती बनाना और सहयोग करना हमारी ज़िन्दगी को सुखद बनाता है।
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